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माँ सरस्वती की पूजा के दिन बच्चे को पढना चाहिए या नहीं

हिन्दू धर्म के अंदर संस्कार सर्वोपरि हैं।  और इसकी शुरुआत बचपन में ही हमारे घरों से हो जाती है।  जब घर में कोई भी बच्चा जन्म लेता है और कुछ दिनों बाद, जब वह लोगों को पहचानने की कोशिश करने लगता है। तभी घर के बुजुर्ग और अन्य सदस्य उसे 'नमस्ते ' करने को और 'राधे-राधे' बोलना सीखाना शुरू कर देते हैं। 

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और सही मायने में उस नवजात बच्चे का धर्म के प्रति रुझान शुरू हो जाता है।  फिर जैसे - जैसे वह बड़ा होता जाता है उसे अपने बुजुर्गों द्वारा पढ़ाया गया आदर और सम्मान का भाव याद आने लगता है।उसको बताया जाता है कि इन अंकल से नमस्ते करनी और पिता जी के पैर छूने हैं।

अगली और मुख्य सीढ़ी विद्यालय होता है।  हालाँकि आज के समय के विद्यालयों में सरस्वती पूजा होना तो बहुत ही दूर की बात है।  उन्हें माँ सरस्वती के बारे में बताया भी नहीं जाता।  आजकल का समय विद्यालयों में सिर्फ किताबी कीड़ा बनाने और पाश्चात्य सभ्यता को सीखने पर जोर दिया जाता है। बच्चों के दिमाग में संस्कार, आदर और सम्मान का अलग ही मतलब फिट किया जाता है।  

आखिर माँ सरस्वती कौन हैं ?

भारतीय परंपरा अर्थात हिन्दू धर्म में ज्ञान, विद्या, कला की अधिष्ठात्री माँ सरस्वती हैं जिन्हें योग माया शक्ति के नाम से भी जाना जाता है।इसके साथ ही माँ सरस्वती को शारदा, शतरूपा, वीणावादिनी, वीणापाणि, वाग्देवी, वागेश्वरी, भारती, आदि नामों से विश्वविख्यात हैं। 

पौराणिक कथाओं के अनुसार - ब्रह्म मुख से माँ सरस्वती की उत्पत्ति हुई थी (अलग अलग जगह इनके जन्म और उत्पत्ति को लेकर अलग अवधारणाएं हैं ) 

पौराणिक मान्यता अनुसार ब्रह्मा की पुत्री सरस्वती का विवाह भगवान विष्णु से हुआ था, जबकि ब्रह्मा की पत्नी सरस्वती अपरा विद्या की देवी थीं जिनकी माता का नाम महालक्ष्मी था और जिनके भाई का नाम विष्णु था।  

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माँ सरस्वती की इतनी मान्यता क्यों है ?

 धार्मिक मान्यताओं के अनुसार - माँ सरस्वती को विद्या की जननी कहा गया है। कुछ महापुरुषों के अनुसार माँ सरस्वती स्वयं विद्या की देवी हैं।और भारत जैसे सांस्कृतिक देश में जहां धर्म की प्रधानता हो वहाँ शिक्षा को धर्म के साथ जोड़ना महानता का परिचय देना है।इसलिए माँ से बुद्धि को वरदान स्वरुप लेने के लिए पूजा जाता है। 

बसंत पंचमी के दिन पढ़ने का क्या तात्पर्य है ?

 बसंत पंचमी, मां सरस्वती का दिन होता है। इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करके, विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजा के दौरान मां सरस्वती को कुछ खास चीजों का भोज लगाने से बुद्धि के वरदान की प्राप्ति होती है। 

कुछ लोग इस दिन पतंग भी उड़ाते हैं। और अभी भी काफी विद्यालयों में बसंत पंचमी के दिन पूजा का आयोजन भी किया जाता है ताकि विद्यार्थियों के अंदर संस्कार , सद्बुद्धि , सदाचार के भाव के साथ ही भारतीय परंपरा और धार्मिक मान्यताओं का भी सद्विचार विकसित हो सके। 

माँ सरस्वती की वंदना

अरिहन्त भासियत्थ्ं गणहरदेवेहिं गंथियं सव्वं |

पणमामि भत्तिजुत्तो सुदणाणमहोवयं सिरसा ||

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